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Thursday, 8 September 2016
Wednesday, 31 August 2016
माइकेल फैराडे, अंग्रेज भौतिक विज्ञानी एवं रसायनज्ञ थे। उन्होने विद्युत-धारा के चुम्बकीय प्रभाव का आविष्कार किया। उसने विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का अध्ययन करके उसको नियमवद्ध किया। इससे डायनेमों तथा विद्युत मोटर का निर्माण हुआ। बाद में गाउस (Gauss) के विद्युतचुम्बकत्व के चार समीकरणों में फैराडे का यह नियम भी सम्मिलित हुआ। फैराडे ने विद्युत रसायन पर भी बहुत काम किया और इससे सम्बन्धित अपने दो नियम दिये।
माइकल फैराडे का जन्म 22 सितंबर 1791 ई. को हुआ। इनके पिता बहुत गरीब थे और लुहारी का कार्य करते थे। इन्होंने अपना जीवन लंदन में जिल्दसाज की नौकरी से प्रारंभ किया। समय मिलने पर रसायन एव विद्युत् भौतिकी पर पुस्तकें पढ़ते रहते थे। सन् 1813 ई. में प्रसिद्ध रसायनज्ञ, सर हंफ्री डेबी, के व्याख्यान सुनने का इन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन व्याख्यानों पर फैराडे ने टिप्पणियाँ लिखीं और डेबी के पास भेजीं। सर हंफ्री डेबी इन टिप्पणियों से बड़े प्रभावित हुए और अपनी अनुसंधानशाला में इन्हें अपना सहयोगी बना लिया। फैराडे ने लगन के साथ कार्य किया और निरंतर प्रगति कर सन् 1833 में रॉयल इंस्टिट्यूट में रसायन के प्राध्यापक हो गए।
अपने जीवनकाल में फैराडे ने अनेक खोजें कीं। सन् 1831 में विद्युच्चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत की महत्वपूर्ण खोज की। चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत्-वाहक-बल उत्पन्न किया। इस सिद्धांत पर भविष्य में जनित्र (generator) वना तथा आधुनिक विद्युत् इंजीनियरी की नींव पड़ी। इन्होंने विद्युद्विश्लेषण पर महत्वपूर्ण कार्य किए तथा विद्युद्विश्लेषण के नियमों की स्थापना की, जो फैराडे के नियम कहलाते हैं। विद्युद्विश्लेषण में जिन तकनीकी शब्दों का उपयोग किया जाता है, उनका नामकरण भी फैराडे ने ही किया। क्लोरीन गैस का द्रवीकरण करने में भी ये सफल हुए। परावैद्युतांक, प्राणिविद्युत्, चुंबकीय क्षेत्र में रेखा ध्रुवित प्रकाश का घुमाव, आदि विषयों में भी फैराडे ने योगदान किया। आपने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें सबसे उपयोगी पुस्तक "विद्युत् में प्रायोगिक गवेषणाएँ" (Experimental Researches in Electricity) है।
फैराडे जीवन भर अपने कार्य में रत रहे। ये इतने नम्र थे कि इन्होंने कोई पदवी या उपाधि स्वीकार न की। रायल सोसायटी के अध्यक्ष पद को भी अस्वीकृत कर दिया। धुन एवं लगन से कार्य कर, महान वैज्ञानिक सफलता प्राप्त करने का इससे अच्छा उदाहरण वैज्ञानिक इतिहास में न मिलेगा। हर फ्री डेवी भी फैराडे को अपनी सबसे बड़ी खोज मानते थे।
माइकल फैराडे की मृत्यु 25 अगस्त 1867 ई. को हुई।
थॉमस
अल्व्हा एडिसन (११ फेब्रुवारी, इ.स. १८४७ – १८ ऑक्टोबर, इ.स. १९३१) याने विजेच्या दिव्याचा शोध
लावला. तसेच, त्याचे ग्रामोफोन इत्यादींसारखे
अनेक शोध सुप्रसिद्ध
आहेत.
जेव्हा
आपण दिवा लावण्याकरिता
बटण दाबतो
किंवा सिनेमा
बघतो, रेडिओ
ऐकतो, फोनवर
बोलतो, ते केवळ
एडिसनने लावलेल्या
शोधांमुळेच.
फेब्रुवारी
११, इ.स.
१८४७ रोजी अमेरिकेतील
ओहायो राज्यामधील
मिलान या गावी
एडिसनचा जन्म
झाला. तो फक्त
३ महिने
शाळेत गेला. कारण
वर्गातील मास्तरांनी
हा अतिशय
"ढ' आणि निर्बुद्ध
विद्यार्थी काहीही
शिकू शकणार
नाही असा शिक्का
एडिसनवर मारला.
त्यामुळे एडिसनला
शाळा सोडावी
लागली.
एडिसन
घरी बसला. त्याच्या
उपद्व्यापामुळे घरातील
माणसे चिडत. म्हणून
त्याने आपल्या
घराच्या पोटमाळ्यावर
आपली छोटीशी
प्रयोगशाळा थाटली.
या प्रयोगशाळेसाठी
लागणारी रसायने
विकत घेण्यासाठी
थॉमस यांनी
वर्तमानपत्र विकण्याचे
काम केले.
१८६२ मध्ये
एडिसनने एक
छोटासा मुलगा
रेल्वे रुळावर
खेळत असताना
पाहिला. तेवढ्यात
एक सामान
भरलेला ट्रक
भरधाव वेगाने
रेल्वे फाटकातून
आत येताना
दिसला. क्षणात
एडिसन धावला
व त्या मुलाला
उचलून त्याने
त्याचे प्राण
वाचवले. हा
पोरगा स्टेशनमास्तर
मॅकेंझी यांचा
होता. एडिसनचे
उपकार स्मरून
कृतज्ञता व्यक्त
करण्यासाठी मॅकेंझीने
त्याला आगगाडीच्या
तारायंत्राचे शिक्षण
देऊन रेल्वे
स्टेशनवर टेलिग्राफ
ऑपरेटरचे काम
दिले. दिवसभर
नाना प्रयोगात
दंग असल्यामुळे
एडिसनला रात्री
झोप येई, म्हणून
त्याने तारयंत्रालाच
घड्याळ बसवले.
ते घड्याळच
बरोबर तासातासांनी
संदेश पाठवी.
पुढे एडिसन
१८६९ मध्ये
टेलिग्राफ इंजिनिअर
झाला. त्याने
लावलेल्या शोधांची
नोंद करणेही
कठीण आहे. या
जगविख्यात शास्त्रज्ञाने
विजेचा बल्ब,
फिल्म, फोनोग्राफ,
ग्रॅहॅमच्या फोनमधील
सुधारणा वगैरे
अनेक शोध लावून
जगावर उपकाराचे
डोंगर उभारले.
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